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Rajinder Manchanda Bani's Photo'

राजेन्द्र मनचंदा बानी

1932 - 1981 | दिल्ली, भारत

आधुनिक उर्दू ग़ज़ल की सबसे शक्तिशाली आवाज़ों में शामिल।

आधुनिक उर्दू ग़ज़ल की सबसे शक्तिशाली आवाज़ों में शामिल।

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ग़ज़ल 76

नज़्म 13

अशआर 44

वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था

कि चुप सी लग गई दोनों को बात करते हुए

दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था

क़ाइल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था

ओस से प्यास कहाँ बुझती है

मूसला-धार बरस मेरी जान

वो एक अक्स कि पल भर नज़र में ठहरा था

तमाम उम्र का अब सिलसिला है मेरे लिए

कोई भी घर में समझता था मिरे दुख सुख

एक अजनबी की तरह मैं ख़ुद अपने घर में था

पुस्तकें 9

 

वीडियो 3

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

राजेन्द्र मनचंदा बानी

अजीब रोना सिसकना नवाह-ए-जाँ में है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न हरीफ़ाना मिरे सामने आ मैं क्या हूँ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ऑडियो 18

इक गुल-ए-तर भी शरर से निकला

ख़ाक ओ ख़ूँ की वुसअतों से बा-ख़बर करती हुई

घनी-घनेरी रात में डरने वाला मैं

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