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मैं ने तुझ को मंज़िल जानातू मुझ को रस्ता समझा था
रात ख़्वाब में मैं ने अपनी मौत देखी थीइतने रोने वालों में तुम नज़र नहीं आए
ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा थादिया जलाया भी मैं ने दिया बुझाया भी
जाने क्या क्या ख़्वाब बुने थे, पहले सावन में, मैं नेजाने इस पर क्या क्या लिक्खा पहली पहली बारिश में
जिस सेमैं ने
मर जातीमैं ने
मैं ने सहे हैं मक्र अपनेअब बेचारा लगता हूँ
कि लोगो मैं नेतुम्हारी ख़ातिर
हारीसोचा है मैं ने
मैं ने ये कब कहा था मोहब्बत में है नजातमैं ने ये कब कहा था वफ़ादार ही रहो
मैं ने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब'मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है
मैं ने उस से ये कहा
कहा मैं नेतुम्हारी शरबती आँखें
Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi
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