हिना रिज़्वी
ग़ज़ल 26
नज़्म 3
अशआर 2
हार उस की जीतने का शौक़ मेरा ले गई
फिर मुझे हारा हुआ हर मरहला अच्छा लगा
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चुपके-चुपके 'इश्क़ करने का कोई हासिल नहीं
'इश्क़ में मंज़िल मिला करती है रुस्वाई के बा'द
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