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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अफ़क़र मोहानी

1887 - 1971

क्लासिकी परम्परा के शायर, अपनी शायरी में तसव्वुफ़ के विषयों को भी बहुत ख़ूबसूरती के साथ बरता है

क्लासिकी परम्परा के शायर, अपनी शायरी में तसव्वुफ़ के विषयों को भी बहुत ख़ूबसूरती के साथ बरता है

अफ़क़र मोहानी की ई-पुस्तक

अफ़क़र मोहानी की पुस्तकें

6

Rahnuma-e-Shayari

1975

Daur-e-Ghazaliyat

1964

Nazargah

Rahnuma-e-Shayari

1960

नज़रगाह

1961

Nazar-Gaah

1961

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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