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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अख़्तर ओरेनवी

1911 - 1977 | मुंगेर, भारत

प्रसिद्ध आलोचक, शोधकर्ता, कथाकार और शायर,अपनी रोमांटिक नज़्मों के लिए भी जाने गए।

प्रसिद्ध आलोचक, शोधकर्ता, कथाकार और शायर,अपनी रोमांटिक नज़्मों के लिए भी जाने गए।

अख़्तर ओरेनवी के शेर

मिज़ाज-ए-नाज़-ए-जल्वा कभी पा सकीं निगाहें

कि उलझ के रह गई हैं तिरी ज़ुल्फ़-ए-ख़म-ब-ख़म में

मैं मुंतज़िर हूँ तेरी तमन्ना लिए हुए

जा फ़रोग़-ए-हुस्न की दुनिया लिए हुए

जुनूँ भी ज़हमत ख़िरद भी ल'अनत है ज़ख़्म-ए-दिल की दवा मोहब्बत

हरीम-ए-जाँ में तवाफ़-ए-पैहम यही है अंदाज़-ए-आशिक़ाना

कितने ताबाँ थे वो लम्हात तिरे पहलू में

दो घड़ी मेरी भी फ़िरदौस मिना गुज़री है

मिरी आरज़ू की तस्कीं करम में ने सितम में

मिरा दिल मुदाम तिश्ना तिरी रह के पेच-ओ-ख़म में

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