aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय (1876–1938) बंगाल के महान उपन्यासकार और कहानीकार थे, जिन्हें बंगाली, हिंदी, उर्दू और अन्य भारतीय भाषाओं में अपार लोकप्रियता मिली।
उनकी रचनाएँ मानवीय भावनाओं, सामाजिक अन्याय, वर्ग भेद और स्त्रियों की दशा जैसे विषयों पर आधारित थीं।
उन्होंने ऐसे पात्रों की रचना की जो गहरी संवेदनाओं, संघर्ष और सच्चाई का प्रतिबिंब प्रस्तुत करते हैं। उनके उपन्यास "देवदास", "शर्मीली", "पारसनाथ", "बिजयिनी", "बड़ी दीदी" और "पालीता" ने हिंदी और उर्दू पाठकों के मन पर गहरा प्रभाव डाला।
उनके कई उपन्यासों पर हिंदी, उर्दू, तमिल और अन्य भाषाओं में फिल्में बन चुकी हैं, विशेषकर "देवदास", जिस पर दशकों में विभिन्न शैलियों में सफल फिल्में बनाई गईं।
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