aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
नाम सय्यद सज्जाद बाक़र रिज़वी, डाॅक्टर और तख़ल्लुस बाक़र था। 14 अक्टूबर, 1928, तहसील फूलपुर, ज़िला आज़मगढ़ में पैदा हुए। मैट्रिक और इंटरमीडिएट के इम्तिहानात यूपी बोर्ड से प्राईवेट उम्मीदवार की हैसियत से पास किए। अक्टूबर 1947 में हिज्रत करके पाकिस्तान आ गए। 1949 में सिंध मुस्लिम लाॅ कॉलेज से एल.एल.बी. और कराची यूनिवर्सिटी से बी.ए. (ऑनर्ज़) किया। 1958 में सज्जाद बाक़र ने कराची यूनिवर्सिटी से “तंज़-ओ-मज़ाह के नज़रियाती मबाहिस और क्लासिकी उर्दू शाइरी 1957 तक” पर मक़ाला लिख कर पी.एच.डी. की डिग्री हासिल की। शाइरी का ज़ौक़ फ़ित्री था। शाइर के अलावा वह नक़्क़ाद और अंग्रेज़ी और उर्दू अदब के एक अच्छे उस्ताद थे। 13 अगस्त 1992 को दमे के रोग में लाहौर में इंतिक़ाल कर गए। “तेशा-ए-लफ़्ज़” और “जू-ए-मआनी” के नाम से उनके शेरी मजमुए छप गए हैं। ब-हवालाः पैमाना-ए-ग़ज़ल (जिल्द दोम), मोहम्मद शम्स-उल-हक़, सफ़्हा 231