aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
आग़ा शाइ’र, मुज़फ़्फ़र बेग क़ज़लबाश (1871-1940) देहली के अलबेले शख़्स थे जो रस्मी शिक्षा न होने के बावजूद अपनी फ़ितरी रचनाशीलता के बल पर ज़िंदा रहे। बारह साल की उ’म्र में घर छोड़ दिया और इधर उधर होते हुए हैदराबाद जा पहुँचे और ‘दाग़’ देहलवी की शागिर्दी मे आगए। वहाँ पाँव जम गए थे मगर फिर चल पड़े और वापस देहली आगए। यहाँ से कलकत्ता गए और किसी ड्रामा कम्पनी के लिए ड्रामे लिखे। आख़िर में मौत उन्हें उनके वतन खींच लाई।
Join us for Rekhta Gujarati Utsav | 19th Jan 2025 | Bhavnagar
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