aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
انتظار حسین اردو فکشن کا ایک معتبر نام ہے جو اپنے استعاراتی اورعلامتی اسلوب کے باعث دیگر فکشن نگاروں میں معروف ہیں۔ان کی تحریروں میں جہاں داستانوی فضا ماضی کی بازگشت کی صورت نمایاں ہے، وہیں پرانی اقدار کے بکھرنے اور نئی سطحی اقدار کے نمو کا دکھ بھی واضح ہے۔ان کااسلوب استعاروں اورعلامتوں کا حامل عام فہم تونہیں ۔یہی سبب ہے کہ ان کی تخلیقات ایک خاص اذہان کا مطالبہ کرتی ہیں۔انھوں نے کئی افسانے،ڈارمے ،سفر نامے اور ناول لکھے ہیں۔زیر مطالعہ "تذکرہ" انتظار حسین کا معروف ناول ہے۔جو تمثیلی پیرائیہ میں دلچسپ اور متاثر کن ہے۔
इन्तिज़ार हुसैन का जन्म 21 दिसंबर 1925 को मेरठ में हुआ था। मेरठ कॉलेज से बी.ए. किया और पाकिस्तान बनने के बाद वो लाहौर पाकिस्तान चले आए, जहाँ जामिया-ए-पंजाब से उर्दू में एम.ए करने के बाद वे पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ गए। उनका पहला फ़िक्शन संग्रह "गली कूचे " 1953 में प्रकाशित हुआ था। वो रेडियो में कॉलम भी लिखते थे। उर्दू अफ़्साना निगारी में उनका मक़ाम बहुत बुलंद है और उनके बेशुमार अफ़्साने लोगों में चर्चा का विषय हैं। उपन्यास लेखन में उनका विशेष स्थान है। उनकी किताबों का मुख़्तलिफ़ ज़बानों में तर्जुमा हुआ है। समीरा गिलानी ने उनकी किताब "बस्ती" और "ख़ाली पिंजरा" का फ़ारसी में अनुवाद किया है।
उनको हुकूमत-ए-पाकिस्तान ने सितारा-ए-इम्तियाज़ से नवाज़ा है। इन्तिज़ार हुसैन पाकिस्तान के पहले अदीब हैं जिनका नाम मैन बुकर प्राइज़ के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया था ।