वो नहीं मिलता मुझे इस का गिला अपनी जगह
वो नहीं मिलता मुझे इस का गिला अपनी जगह
इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी
MORE BYइफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी
वो नहीं मिलता मुझे इस का गिला अपनी जगह
उस के मेरे दरमियाँ का फ़ासला अपनी जगह
ज़िंदगी के इस सफ़र में सैकड़ों चेहरे मिले
दिलकशी उन की अलग पैकर तिरा अपनी जगह
तुझ से मिल कर आने वाले कल से नफ़रत मोल ली
अब कभी तुझ से न बिछड़ूँ ये दुआ अपनी जगह
इक मुसलसल दौड़ में हैं मंज़िलें और फ़ासले
पेड़ तो अपनी जगह हैं रास्ता अपनी जगह
- पुस्तक : Jagjit Chitra Ki Ghazlen (पृष्ठ 90)
- रचनाकार : Jagjit Chitra
- प्रकाशन : Daimond Pocket Books, Daryaganj
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