अमबाला के शायर और अदीब
कुल: 18
सय्यद अब्दुस सत्तार मुफ़्ती
                                    1933  -   1981
                            
                        सुरूर अम्बालवी
                                    1927   
                            
                        सदा अम्बालवी
                                    1951   
                            
                        राजेंद्र सिंह/लोकप्रिय शायर/अपनी गज़ल 'वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे' के लिए मशहूर, जिसे गाया गया है