ग्वालियर के शायर और अदीब

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आज़ादी के बाद भारतीय राजनीति का लोकप्रिय व्यक्तित्व, एक उत्कृष्ट समाज की रचना के विचारों वाली शायरी की; ‘जंग न होने देंगे’ उनके काव्य संग्रह का नाम है

उर्दू शायरी के निर्माताओं में से एक, मीर तक़ी मीर के समकालीन।

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