नज़्में
नज़्म, उर्दू में एक विधा के रूप में, उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दशकों के दौरान पैदा हुई और धीरे धीरे पूरी तरह स्थापित हो गई। नज़्म बहर और क़ाफ़िए में भी होती है और इसके बिना भी। अब नसरी नज़्म (गद्द-कविता) भी उर्दू में स्थापित हो गई है।
प्रमुख लोकप्रिय शायर जिन्हें ‘उत्साही’ का उपनाम जवाहर लाल नेहरू ने दिया था/उर्दू शायरी को हिंदी के क़रीब लाने के लिए विख्यात
महाराष्ट्र के शायर, लेखक और अनुवादक. मराठी नज़्मों के उर्दू में पद्यानुवाद भी किए
बच्चों के लिए ख़ूबसूरत नज़्में लिखीं, ‘गुल बूटे’ नाम से काव्य संग्रह प्रकाशित
दिल्ली की काव्य परम्परा के अंतिम दौर के शायरों में शामिल, अपने ड्रामे ‘कृष्ण अवतार’ के लिए प्रसिद्ध
अग्रणी आधुनिक शायर और कहानीकार, भारत में आधुनिक उर्दू नज़्म के विकास में महत्वपूर्ण यागदान, पद्मश्री से सम्मानित
नात, ग़ज़ल और भजन के ख़ास रंगों के मशहूर शायर । उनकी मशहूर ग़ज़ल ' ए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ ' को कई गायकों ने आवाज़ दी है
लोकप्रिय शायर, रोज़मर्रा के अनुभवों को शायरी बनाने के लिए पहचाने जाते हैं, ख़ूबसूरत नज़्में और ग़ज़लें कहीं