नज़्में
नज़्म, उर्दू में एक विधा के रूप में, उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दशकों के दौरान पैदा हुई और धीरे धीरे पूरी तरह स्थापित हो गई। नज़्म बहर और क़ाफ़िए में भी होती है और इसके बिना भी। अब नसरी नज़्म (गद्द-कविता) भी उर्दू में स्थापित हो गई है।
प्रमुख पूर्वाधुनिक शायर/रामायण पर अपनी नज़्म के लिए विख्यात/मशहूर शेर ‘जि़ंदगी क्या है अनासिर में ज़हूर-ए-तरतीब......’ के रचयिता
क़ौमी, सामाजिक और देश की आज़ादी की भावना से समर्पित नज़्मों के लिए प्रसिद्धके. लम्बे अरसे तक उर्दू-फ़ारसी के उस्ताद रहे