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नज़्में

नज़्म, उर्दू में एक विधा के रूप में, उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दशकों के दौरान पैदा हुई और धीरे धीरे पूरी तरह स्थापित हो गई। नज़्म बहर और क़ाफ़िए में भी होती है और इसके बिना भी। अब नसरी नज़्म (गद्द-कविता) भी उर्दू में स्थापित हो गई है।

1918 -2002

लोकप्रिय प्रमुख प्रगतिशील शायर और फि़ल्म गीतकार/हीर राँझा और काग़ज़ के फूल के गीतों के लिए प्रसिद्ध

1940

फ़िल्म गीतकार, अपनी नज़्म 'बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी' के लिए प्रसिद्ध, जिसे जगजीत सिंह ने आवाज़ दी थी।

1935 -1992

प्रतिष्ठित आधुनिक शायर, पत्रिका "सुतूर" के संपादक

1926 -2013

उरूज़ के विख्यात विशेषज्ञ और स्कॉलर।

1926 -2015

क्लासिकी लहजे के प्रमुख और लोकप्रिय शायर

1909 -1992

उर्दू शायरी और तहज़ीब का एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व, भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में भी रहे

1940

प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायरा, अपने स्त्री-वादी विचारों और धार्मिक कट्टरता के विरोध के लिए विख्यात

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