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नज़्में

नज़्म, उर्दू में एक विधा के रूप में, उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दशकों के दौरान पैदा हुई और धीरे धीरे पूरी तरह स्थापित हो गई। नज़्म बहर और क़ाफ़िए में भी होती है और इसके बिना भी। अब नसरी नज़्म (गद्द-कविता) भी उर्दू में स्थापित हो गई है।

1944

महिला समस्याओं को अपनी कहानियों का विषय बनाने वाली मशहूर लेखिका, अपनी कहानी ‘पारसा बीबी का बघार’ के लिए प्रसिद्ध।

1998 -2022

उर्दू नज़्म के आशाजनक उर्दू शायर जिन्होंने 24 वर्ष की आयु में आत्महत्या कर ली।

नज़्म के समकालीन शाइरों में नुमायाँ

1873 -1956

शायर, संपादक, आज़ादी के संघर्ष में हिस्सा लेने वाले एक सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता

1955 -2020

मारूफ़ मुहक़्क़िक़, भाषा-विज्ञानी और शायर

1935 -2017

अग्रणी प्रगतिशील शायर।

1987

मशहूर नौजवान शायरों में शुमार, रिवायती उर्दू शायरी की दिलकशी को जदीद ख़यालात और जज़्बात की माअनवियत के साथ हम-आहंग किया

1935 -2016

प्रमुखतम आधुनिक शायरों में विख्यात/अपनी साहित्यिक पत्रिका ‘ज़ह्न-ए-जदीद’ के लिए प्रसिद्ध

1913 -1964

उर्दू के मशहूर हास्य शायर

1870 -1937

उर्दू और फ़ारसी के शायर, हास्य-व्यंग्य एवं विशिष्ट शैली में अपना कलाम सुनाने के लिए प्रसिद्ध

1923 -1981

अहम तरक़्क़ी पसंद शाइरों में शुमार, ख़ास तौर पर अपनी नज़्मों के लिए जाने जाते हैं

1936

पाकिस्तान की अग्रणी शायरात में विख्यात

1919 -1994

शायर व फ़िल्म पटकथा-लेखक। 'प्रगतिशील लेखक संघ' से जुड़े रहे

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