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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अफ़क़र मोहानी

1887 - 1971

क्लासिकी परम्परा के शायर, अपनी शायरी में तसव्वुफ़ के विषयों को भी बहुत ख़ूबसूरती के साथ बरता है

क्लासिकी परम्परा के शायर, अपनी शायरी में तसव्वुफ़ के विषयों को भी बहुत ख़ूबसूरती के साथ बरता है

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अफ़क़र मोहानी

शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

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