क़तआ'त
गज़ल में कभी कभी बीच में दो-तीन ऐसे अशआर लाये जाते हैं जिन में कोई बात निरंतरता के साथ बयान की जाती है। ये चंद अशआर ग़ज़ल के शेरों से अलग होते हैं, इस लिए इन्हें क़तअ कहते हैं। जिस ग़ज़ल में क़तअ हो उसे क़तअ-बंद ग़जल कहा जाता है।
सबसे प्रख्यात एवं प्रसिद्ध शायर। अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण कई साल कारावास में रहे
अग्रणी पूर्व-आधुनिक शायरों में शामिल, शायरी के उदास रंग के लिए विख्यात।