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क़तआ'त

गज़ल में कभी कभी बीच में दो-तीन ऐसे अशआर लाये जाते हैं जिन में कोई बात निरंतरता के साथ बयान की जाती है। ये चंद अशआर ग़ज़ल के शेरों से अलग होते हैं, इस लिए इन्हें क़तअ कहते हैं। जिस ग़ज़ल में क़तअ हो उसे क़तअ-बंद ग़जल कहा जाता है।

1889 -1934

रुबाई के मशहूर शायर, गौतम बुद्ध पर नज़्म के लिए प्रख्यात

1951 -1998

सबसे महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक पाकिस्तानी शायरों में से एक, अपने विशीष्ट काव्य अनुभव के लिए विख्यात।

1904

उर्दू कवि, फ़ारसी और संस्कृत के विद्वान, स्वतंत्रता संग्राम में शामिल रहे

1748 -1809

अपनी शायरी में महबूब के साथ मामला-बंदी के मज़मून के लिए मशहूर, नौजवानी में नेत्रहीन हो गए

1914 -1976

महत्वपूर्ण प्रगतिशील शायर और फ़िल्म गीतकार। फ़िल्म गीतकार जावेद अख़्तर के पिता

1945

बॉलीवुड स्क्रिप्ट-लेखक, गीतकार और शायर। 'शोले' व 'दीवार' जैसी फ़िल्मों के लिए प्रसिद्ध

1884 -1976

पद्म श्री, अविभाजित पंजाब के मशहूर शायर

1898 -1982

सबसे गर्म मिज़ाज प्रगतिशील शायर जिन्हें शायर-ए-इंकि़लाब (क्रांति-कवि) कहा जाता है

1737 -1801

मीर के समकालीन, अज़ीमाबाद स्कूल के प्रतिष्ठित शायर, दिल्ली स्कूल के रंग में शायरी के लिए मशहूर

1931 -2002

उर्दू के अग्रणी आधुनिक शायरों में शामिल। अपने अपारम्परिक अंदाज़ के लिए अत्यधिक लोकप्रिय

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