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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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क़तआ'त

गज़ल में कभी कभी बीच में दो-तीन ऐसे अशआर लाये जाते हैं जिन में कोई बात निरंतरता के साथ बयान की जाती है। ये चंद अशआर ग़ज़ल के शेरों से अलग होते हैं, इस लिए इन्हें क़तअ कहते हैं। जिस ग़ज़ल में क़तअ हो उसे क़तअ-बंद ग़जल कहा जाता है।

1908 -1969

महत्वपूर्ण प्रगतिशील शायर। उनकी कुछ ग़ज़लें ' बाज़ार ' और ' गमन ' , जैसी फिल्मों से मशहूर

1929 -1970

तेग़ इलाहाबादी के नाम से भी विख्यात, पाकिस्तान में सी एस पी अफ़सर थे, रहस्यमय हालात में क़त्ल किए गए।

1923 -1980

डी टी सी ट्रैफिक इंस्पेक्टर,ग़ज़लों और क़ितआत के लिए मशहूर

1906 -1978

शायर, संपादक व फ़िल्मी गीतकार

1797 -1869

विश्व-साहित्य में उर्दू की सबसे बुलंद आवाज़। सबसे अधिक सुने-सुनाए जाने वाले महान शायर

1723 -1810

उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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