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क़तआ'त

गज़ल में कभी कभी बीच में दो-तीन ऐसे अशआर लाये जाते हैं जिन में कोई बात निरंतरता के साथ बयान की जाती है। ये चंद अशआर ग़ज़ल के शेरों से अलग होते हैं, इस लिए इन्हें क़तअ कहते हैं। जिस ग़ज़ल में क़तअ हो उसे क़तअ-बंद ग़जल कहा जाता है।

1971

शायर और फ़िल्म गीतकार

1790 -1854

आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के उस्ताद और राजकवि , मिर्ज़ा ग़ालिब से उनकी प्रतिद्वंदिता प्रसिद्ध है।

1956

महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक शायरों में विख्यात।

1924 -1995

शायर,पत्रकार और गीतकार। ग़ुलाम बेगम बादशाह और झाँसी की रानी जैसी फ़िल्मों के संवाद लेखक

1957

उर्दू ग़ज़ल के प्रतिष्ठित कवि, 'बज़्म-ए-तामीर-ए-अदब' के संस्थापक और कई साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित

1914 -1999

पाकिस्तान के लोकप्रिय हास्य-व्यंग शायर

लोकप्रिय हास्य कवि, हास्य-व्यंग्य लेखन आधारित साहित्यिक पत्रिका 'ख़ुशनुमा' के सम्पादक.

1927 -1983

पाकिस्तान के प्रमुखतम आलोचकों में विख्यात/ऐंटी-गज़ल रूझान और आधुनिकता-विरोधी विचारों के लिए प्रसिद्ध

1936 -2008

हास्य-व्यंग के लोकप्रिय शायर

1938 -2000

हरियाणा के विख्यात शायर

1921 -1980

प्रख्यात प्रगतिशील भारतीय शायर व फ़िल्मी गीतकार/ सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक असमानता के विरुद्ध नज़्मों और गीतों के लिए प्रसिद्ध

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