aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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ए जी जोश
1928 - 2007
शायर
अमन जी मिश्रा
born.2001
जी आर वशिष्ठ
born.1996
बुलबुल काश्मीरी
born.1922
ग़म बिजनौरी
लेखक
जी आर कँवल
born.1935
जी. ए. कुलकर्णी
1923 - 1987
जी. आर. कँवल
ऍच. जी. वेल्स
जी एम शाद
born.1938
जी.एफ़. एस्टाउट
1960 - 1944
जार्ज एडवर्ड मोर
जी. ए. स्योमिन
संपादक
के जी सय्यदैन
जी. एच. वेस्टकोट
1862 - 1928
तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या हैतेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लोनश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो हैलम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
रूमान और इश्क़ के बग़ैर ज़िंदगी कितनी ख़ाली ख़ाली सी होती है इस का अंदाज़ा तो आप सबको होगा ही। इश्क़चाहे काइनात के हरे-भरे ख़ूबसूरत मनाज़िर का हो या इन्सानों के दर्मियान नाज़ुक ओ पेचीदा रिश्तों का इसी से ज़िंदगी की रौनक़ मरबूत है। हम सब ज़िंदगी की सफ़्फ़ाक सूरतों से बच निकलने के लिए मोहब्बत भरे लम्हों की तलाश में रहते हैं। तो आइए हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब एक ऐसा निगार-ख़ाना है जहाँ हर तरफ़ मोहब्बत , लव, इश्क़ , बिखरा पड़ा है।
इश्क़ और प्रेम पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से मोहब्बत में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें मोहब्बत, इश्क़ और प्रेम के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और मोहब्बत करने वालों के बीच साझा कीजिए.
Aab-e-Gum
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
गद्य/नस्र
Tabassum-e-Gum
वसीम बरेलवी
काव्य संग्रह
Mohabbat Mustaqil Gham Hai
वसी शाह
संकलन
Naujawan Warther Ki Dastan-e-Gham
जॉन वुल्फगांग गेटे
नॉवेल / उपन्यास
Gham-e-Javedan
क़मर जलालवी
Safeena-e-Gham-e-Dil
क़ुर्रतुलऐन हैदर
उपन्यास
Jaisa Maine Dekha
जी. एम. सय्यद
समा और अन्य शब्दावलियाँ
ग़म-ए-दिल वहशत-ए-दिल
मोहम्मद हसन
जीवनीपरक
Duniya Ki Mukhtasar Tareekh
इतिहास
Duniya Bhar ke Gham The
श्याम सख़ा श्याम
ग़ज़ल
Bahr-e-Zaman Bahr-e-Zaban
नूर अहमद मेरठी
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Awadh Ke Farsi Go Shoara
डॉ. ज़ोहरा फ़ारूक़ी
Hindu Marsiya Go Shoara
अकबर हैदरी कश्मीरी
Tareekh-e-Adbiyat-e-Iran
एडवर्ड जी ब्राउन
किसी को मौत से पहले किसी ग़म से बचाना होहक़ीक़त और थी कुछ उस को जा के ये बताना हो
जो अहद ही कोई न होतो क्या ग़म-ए-शिकस्तगी
कभी तक़दीर का मातम कभी दुनिया का गिलामंज़िल-ए-इश्क़ में हर गाम पे रोना आया
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़ममक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं
ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाजशम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँअब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सहीतुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले
जब मैं तुम्हें नशात-ए-मोहब्बत न दे सकाग़म में कभी सुकून-ए-रिफ़ाक़त न दे सका
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैंज़बाँ मिली है मगर हम-ज़बाँ नहीं मिलता
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेहकोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
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