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ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
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ग़ज़ल
जान सी शय बिक जाती है एक नज़र के बदले में
आगे मर्ज़ी गाहक की इन दामों तो सस्ती है
फ़ानी बदायुनी
नज़्म
मुफ़्लिसी
कपड़े मियाँ के बनिए के घर में पड़े रहे
जब कड़ियाँ बिक गईं तो खंडर में पड़े रहे
नज़ीर अकबराबादी
कहानी
And won’t be back for many days I had to leave a little girl in Kingston town......
क़ुर्रतुलऐन हैदर
नज़्म
यकसूई
ज़िंदगी शोला-ए-बे-बाक बना लो अपनी
ख़ुद को ख़ाकिस्तर-ए-ख़ामोश बनाती क्यूँ हो