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शेर
अकबर इलाहाबादी
शेर
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
बैठे हैं अपनी सीट पर कैसे भगाएँ मास्टर
आए हैं दे के फ़ीस हम कोई हमें भगाए क्यों
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
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हास्य शायरी
सुना है फ़ीस है कुछ उस से बात करने की
ये फ़ीस क्या है अभी बात कर के देखते हैं
दिलावर फ़िगार
हास्य शायरी
डॉक्टर की फ़ीस का सुन कर मरीज़-ए-मोहतरम
ऑपरेशन से ही पहले कूच फ़रमाएँगे क्या
सय्यद फ़हीमुद्दीन
नज़्म
दूसरे दर्जे की पिछली क़तार का आदमी
और नए जोड़ों की ख़ुशियों में छुपा जो कर्ब है वो भी हूँ मैं
फ़ीस में स्कूल की कापी किताबों में भी मैं
शकील आज़मी
हास्य शायरी
फूस के छप्पर में रहते थे ये इस सामान से
और फर्निचर तो ख़ारिज उन के था इम्कान से