आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ",h8j"
अत्यधिक संबंधित परिणाम ",h8j"
अन्य परिणाम ",h8j"
शेर
ऐ सालिक इंतिज़ार-ए-हज में क्या तू हक्का-बक्का है
बगूले सा तो कर ले तौफ़ दिल पहलू में मक्का है
वली उज़लत
नज़्म
सय्यद से आज हज़रत-ए-वाइ'ज़ ने ये कहा
हो तुझ से तर्क-ए-सौम-ओ-सलात-ओ-ज़कात-ओ-हज
कुछ डर नहीं जनाब-ए-रिसालत-पनाह का
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
कभी भूके पड़ोसी की ख़बर तो ली नहीं उस ने
मगर करने वो उमरा और हज हर साल जाता है
अब्दुल हफ़ीज़ साहिल क़ादरी
हास्य शायरी
इलेक्शन फिर वो ज़िल-हिज्ज के महीने में कराएँगे
तो क्या दो दाँत के वोटर की फिर क़ुर्बानियाँ होंगी