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ग़ज़ल
छुप नहीं सकतीं कभी सीने में बातें राज़ की
इक शिकारी सी नज़र है मेरे तीर-अंदाज़ की
कंवल सियालकोटी
ग़ज़ल
देखिए किस हुस्न से पोशीदा ग़म का राज़ है
तीर मेरे दिल में है पर्दे में तीर-अंदाज़ है
रशीद लखनवी
ग़ज़ल
तीर होवे जिस की मिज़्गाँ और हो अबरू कमाँ
दिल न हो क़ुर्बान क्यूँ कर ऐसे तीर-अंदाज़ का
ऐश देहलवी
ग़ज़ल
सोच-कमान सलामत रखनी होगी तीर-अंदाज़ बहुत
कौन हदफ़ है और कहाँ है उस का पता मिल जाएगा
हसन अब्बास रज़ा
ग़ज़ल
ताइर-ए-दिल को उड़ा लेते हैं पैकान-ए-नज़र
है ये इक अदना करिश्मा मेरे तीर-अंदाज़ का
फ़ज़ल हुसैन साबिर
ग़ज़ल
ये तो है मा'लूम दिल में आए हैं तीर-ए-नज़र
ये नहीं मा'लूम लेकिन कौन तीर-अंदाज़ है
ज़बीह इलाहाबादी
शेर
तिरछी नज़रों से न देखो आशिक़-ए-दिल-गीर को
कैसे तीर-अंदाज़ हो सीधा तो कर लो तीर को