आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "शर्त-ए-शिकस्त-ए-बाल-ओ-पर"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "शर्त-ए-शिकस्त-ए-बाल-ओ-पर"
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "शर्त-ए-शिकस्त-ए-बाल-ओ-पर"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "शर्त-ए-शिकस्त-ए-बाल-ओ-पर"
ग़ज़ल
ऐ कि तुझ से ताक़त-ए-परवाज़ बाल-ओ-पर में है
वो बुलंदी दे जो अज़्म-ए-हौसला-परवर में है
मुस्लिम मलेगाँवी
ग़ज़ल
ख़्वाहिश-ए-पर्वाज़ है तो बाल-ओ-पर भी चाहिए
मैं मुसाफ़िर हूँ मुझे रख़्त-ए-सफ़र भी चाहिए
भारत भूषण पन्त
ग़ज़ल
मंज़िलें भी ये शिकस्ता-बाल-ओ पर भी देखना
तुम सफ़र भी देखना रख़्त-ए-सफ़र भी देखना
अताउल हक़ क़ासमी
ग़ज़ल
ताइर-ए-ख़ुश-रंग को बे-बाल-ओ-पर देखेगा कौन
उस को ख़ुद अपने लहू में तर-ब-तर देखेगा कौन
तुफ़ैल अहमद मदनी
ग़ज़ल
वक़्फ़ है सय्याद की इक इक नज़र मेरे लिए
हाँ मुबारक ये शिकस्त-ए-बाल-ओ-पर मेरे लिए
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
आसमाँ की खोज में हम से ज़मीं भी खो गई
कितनी पस्ती में मज़ाक़-ए-बाल-ओ-पर ले जाएगा