आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "aah-e-bashar"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "aah-e-bashar"
समस्त
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "aah-e-bashar"
ग़ज़ल
पस-ए-साहिल तमाशा क्या है बढ़ कर देख लेना था
कि पहले फेंक कर दरिया में पत्थर देख लेना था
आह संभली
नज़्म
काश
कोई साहिल नहीं मंज़िल न कोई मो'जिज़ा हूँ
अहल-ए-बाज़ार का चाहा हुआ सामाँ भी कहाँ
विनोद कुमार त्रिपाठी बशर
ग़ज़ल
आह को बाद-ए-सबा दर्द को ख़ुशबू लिखना
है बजा ज़ख़्म-ए-बदन को गुल-ए-ख़ुद-रू लिखना

