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शायरी के अनुवाद
आज मैं ने अपने घर का नंबर मिटा दिया है
और गुल की पेशानी पर सब्त गुल का नाम हटा दिया है
अमृता प्रीतम
नज़्म
सफ़र के वक़्त
तुम्हारी याद मिरे दिल का दाग़ है लेकिन
सफ़र के वक़्त तो बे-तरह याद आती हो
जौन एलिया
ग़ज़ल
अकेला दिन है कोई और न तन्हा रात होती है
मैं जिस पल से गुज़रता हूँ मोहब्बत साथ होती है
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
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नज़्म
ख़ुद-कुशी करने का अगला मंसूबा
तय हुई थी एक मुलाक़ात रेलवे-ट्रैक पर
लेकिन रेल-गाड़ी का इंजन मुसलसल खँसता रहा