aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aapkii"
आफ़रीन फ़हीम आफ़ी
born.1998
शायर
आफ़ी क़ादरी
born.2004
मोहम्मद याकू़ब अली अफ़ी
लेखक
अब्दुल हमीद अफ़ी अन्हु
पर्काशक
मुहम्मद मियाँ उफ़ी
ग़ुलाम हुसैन दाद अफ़ी अनहू
संपादक
Muhammad 'Aufī
औरतों की आधी उ'म्र तो अपनी उ'म्र कम करने में गुज़र जाती है। एक मुलाज़िमत के इंटरव्यू के दौरान इंटरव्यू लेने वाले ने पूछा, “मोहतरमा आपकी उ'म्र?” जवाब मिला, “19 साल कुछ महीने” पूछा, “कितने महीने?” जवाब मिला, “छियानवे महीने!”...
शाइरी में मंतिक़ी सच्चाई की तलाश बिल्कुल बे-कार है, बे-तख़य्युल का नसब-उल-ऐन हुस्न है, ना कि सच्चाई। इसलिए किसी फ़नकार की अज़मत को ज़ाहिर करने के लिए उसकी तख़्लीक़ात में से वो इक़्तिबासात पेश न कीजिए। जो आपकी राय में साईंसी हक़ायक़ पर मुश्तमिल हों।...
शौकत थानवी बाग़-ओ-बहार तबीयत के मालिक थे। एक बार बीवी के साथ कराची जा रहे थे। जिस डिब्बे में उनकी सीट थी वो निचली थी। ऊपर की सीट पर एक मोटे ताज़े आदमी बिराजमान थे। शौकत साहब ने उठकर उन्हें ग़ौर से देखा फिर छत की तरफ़ देखकर कहा, “सुब्हान-अल्लाह...
आपने घर का कोई बेहतरीन काम कर दिया, तो इसकी दाद आपकी बीवी से भी नहीं मिलेगी, जो आपसे बेहतर काम की तवक़्क़ो नहीं रखती थी।...
कई लड़कियाँ एक सिगरेट की तरह होती हैं। सिगरेट को सुलगाओ, कश खींचो और मुँह का मज़ा ख़राब करो... मगर वह लड़कियाँ आपकी ख़राबी पर बड़ी मुतमइन हो जाती हैं।...
फ़िल्म और अदब में हमेशा से एक गहरा तअल्लुक़ रहा है ,अगर बात हिन्दुस्तानी फ़िल्मों की हो तो उनमें इस्तिमाल होने वाली ज़बान, डायलॉगज़ , स्क्रीन राईटिंग और नग़मो में उर्दू का हमेशा से बोल-बाला रहा है जो अब तक जारी है। आज इस कलेक्शन में हमने राजा मेहदी ख़ान के कुछ मशहूर नग़्मों को शामिल किया है । पढ़िए और क्लासिकल गानों का लुत्फ़ लीजिए।
अपनीاَپْنی
own, self, of or belonging to self
अपीاَپی
स्वयं, ख़ुद, ख़ुद ही, अपने आप
अपनी सीاَپنی سی
जहाँ तक संभव हो , जहाँ तक फैलाव हो, जहाँ तक मुमकिन हो, अपनी हद तक
अपनी-अपनीاَپْنی اَپْنی
अपना अपना जिसकी यह स्त्रीलिंग है
Aapki Uljhane
उमर अफ़ज़ल
एजुकेशन / शिक्षण
Urdu Nazm Aur Uski Qismein
साहिल अहमद
शायरी तन्क़ीद
Dr. Nazeer Ahmad Ki Kahani Kuchh Meri Aur Kuchh Unki Zabani
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
गद्य/नस्र
Maulvi Nazeer Ahmad Ki Kahani Kuchh Unki Kuchh Meri Zabani
Prem Chand Aur Unki Afsana Nigari
मोहम्मद अकबरुद्दीन सिद्दीक़ी
अफ़साना तन्क़ीद
Urdu Ki Maroof Khawateen Afsana Nigar Aur Unki Khidmaat
नईम अनीस
मज़ामीन / लेख
Dr. Nazeer Ahmad ki Khani Kuchh Meri Aur Kuchh Unki Zabani
हाफ़िज़ महमूद शीरानी और उनकी इल्मी-ओ-अदबी ख़िदमात
मज़हर महमूद शीरानी
आलोचना
नॉन-फ़िक्शन
Apni Shakhsiyat Ko Purkashish Banayen
डेल कार्नेगी
Matbakh Yusufi
दस्तरख़्वान
Freud Aur Uski Talimaat
स. ए. क़ादिर
Apni Talash Mein
कलीमुद्दीन अहमद
आत्मकथा
Mughal Darbar Ki Giroh Bandiyan Aur Unki Siyasat
सतीश चंद्र
इतिहास
सुना है उस के बदन की तराश ऐसी हैकि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
अपनी महरूमियाँ छुपाते हैंहम ग़रीबों की आन-बान में क्या
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलोधड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्तसब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
वो अपनी राह चल पड़ीमैं अपनी राह चल दिया
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँअगर वो आया तो किस रास्ते से आएगा
ख़ुश रहे तू कि ज़िंदगी अपनीउम्र भर की उमीद-वारी है
तुम मुझ को जान कर ही पड़ी हो अज़ाब मेंऔर इस तरह ख़ुद अपनी सज़ा बन गया हूँ मैं
अपनी अना की आज भी तस्कीन हम ने कीजी भर के उस के हुस्न की तौहीन हम ने की
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