aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aapko"
किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप कोकाग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
ढूँडता फिरता हूँ मैं 'इक़बाल' अपने आप कोआप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
खुल के मिलने का सलीक़ा आप को आता नहींऔर मेरे पास कोई चोर दरवाज़ा नहीं
बताऊँ आप को मरने के बाद क्या होगापोलाओ खाएँगे अहबाब फ़ातिहा होगा
आप को आता रहा मेरे सताने का ख़यालसुल्ह से अच्छी रही मुझ को लड़ाई आप की
फ़िल्म और अदब में हमेशा से एक गहरा तअल्लुक़ रहा है ,अगर बात हिन्दुस्तानी फ़िल्मों की हो तो उनमें इस्तिमाल होने वाली ज़बान, डायलॉगज़ , स्क्रीन राईटिंग और नग़मो में उर्दू का हमेशा से बोल-बाला रहा है जो अब तक जारी है। आज इस कलेक्शन में हमने राजा मेहदी ख़ान के कुछ मशहूर नग़्मों को शामिल किया है । पढ़िए और क्लासिकल गानों का लुत्फ़ लीजिए।
ufoufo
unidentified flying object (नाशनाख़्ता पर्रां शैय) उड़न तश्तरी का एक नाम ।
uncounco
स्काच अजीबोगरीब , ग़ैरमामूली , यादगार
oppooppo
बोल चाल: बरत दोस्त, रफ़ीक़ कार।
ipso factoipso facto
अपने-आप
Kya Apko Gunahon Se Allergy Hai?
मुख़्तार अहमद इस्लाही अलीग
Eco Feminism Aur Asri Tanisi Urdu Afsana
नस्तरन अहसन फ़तीही
महिलाओं की रचनाएँ
तौज़ीही ईशरिअ-ए-मेयार देहली
फ़ारूक़ अंसारी
कैटलॉग / सूची
Nazar Chahiye Usko
शेहाब काज़मी
मर्सिया
Yaaden Mere Apno Ki
मंज़ूर उस्मानी
Imam Mohammad Baqar aur Aapke Uloom-o-Maarif
ख़ुसरो क़ासिम
Risalah Arq-o-Sharbat
गोबिंद राम
औषिधि
Usko Ghazal Kahte Hain
सअादत नज़ीर
इतिहास
Aapki Uljhane
उमर अफ़ज़ल
एजुकेशन / शिक्षण
Meri Aankhen Utha leti Hain Usko
मतीन इमादी
लेख
मुहब्बत इसको कहते हैं
फ़िल्मी-नग़्मे
Aaq-o-Talaq
मोहम्मद अब्दुसत्तार
Zamana Usko Bhula Na De
महमूद आलम
हम अपने आप को इक मसअला बना न सकेइसी लिए तो किसी की नज़र में आ न सके
आप को मेरे तआरुफ़ की ज़रूरत क्या हैमैं वही हूँ कि जिसे आप ने चाहा था कभी
मेहंदी लगाने का जो ख़याल आया आप कोसूखे हुए दरख़्त हिना के हरे हुए
दुनिया न जीत पाओ तो हारो न आप कोथोड़ी बहुत तो ज़ेहन में नाराज़गी रहे
हाँ आप को देखा था मोहब्बत से हमीं नेजी सारे ज़माने के गुनहगार हमीं थे
दावा बहुत बड़ा है रियाज़ी में आप कोतूल-ए-शब-ए-फ़िराक़ को तो नाप दीजिए
हम आप को देखते थे पहलेअब आप की राह देखते हैं
आप को देख कर देखता रह गयाक्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
कभी-कभी कोई इंतिहाई घटिया आदमी आपको इंतिहाई बढ़िया मश्वरा दे जाता है। मगर आह! कि आप मश्वरे की तरफ़ कम देखते हैं, घटिया आदमी की तरफ़ ज़्यादा।...
इस क़दर नाज़ है क्यूँ आप को यकताई कादूसरा नाम है वो भी मिरी तन्हाई का
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