aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bachpan"
हरिवंशराय बच्चन
1907 - 2003
शायर
गोर बच्चन सिंह तालिब
लेखक
इमाम-ए-दीन मुग़ल बाघबान
बहमन बिन कैक़ुबाद
शैलेंद्र बच्चन
बाछल अम्बालवी अदीब
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा मेंफिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
मुझ को यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थींजब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं
लिपट जाती है सारे रास्तों की याद बचपन मेंजिधर से भी गुज़रता हूँ मैं रस्ता याद रहता है
कुछ और भी यादें बचपन कीकुछ अपने घर के आँगन की
कला और कलाकार की कल्पना-शक्ति बहुत बलवान होती है। कल्पना-शक्ति के सहारे ही कलाकार नई दुनिया की सैर करता है और गुज़रे हुए वक़्त की यादों को भी शिद्दत के साथ अपनी रचना में बयान करता है। बचपन के सुंदर और कोमल एहसास,उसकी मासूमियत और सच्चे-पन को अपनी रचना में चित्रित करना आसान नहीं होता। लेकिन शायरी जैसी विधा में बचपन के इस एहसास की तर्जुमानी भी की गई है। शायरी या कोई भी रचनात्मक शैली की अपनी सीमा है। इसलिए भाषा की सतह पर बचपन के एहसाह को बयान करने में शायरी की अपनी लाचारी भी है ।बचपन के एहसास से ओत-प्रोत शायरी हमारी इसी नाचारी का बदल है।
बांकपन शायरी
बचपनبچپن
childhood, infancy
Bachpan Ladakpan Jawani
लेव तालस्तोय
जीवनीपरक
Gorki Ki Aap Beeti (Bachpan)
मैक्सिम गोर्की
आत्मकथा
Mera Bachpan
अज़रा अब्बास
Bachpan
नॉवेल / उपन्यास
मैक्सिम गोर्की: बचपन
जीवनी
Bachpan, Ladakpan Aur Jawani
अनुवाद
Badon Ka Bachpan
अब्दुल्ला फ़ारानी
शख़्सियत
Bachon Ke Faiz Ahmad Faiz
ताहा नसीम
Tifli Tarane
सय्यद शकील दस्नवी
नज़्म
Bachon Ki Kahaniyan
अब्दुल वाहिद सिन्धी
कहानी
Bachon Ke Liye Yakbabi Drame
बानो सरताज
ड्रामा/ नाटक
Bachon Ke Iqbal
अतहर प्रवेज़
Bachon Ki Duniya
तिलोकचंद महरूम
Bachon Ki Lughat
ख़लीक़ अहमद सिद्दीक़ी
सीखने के संसाधन
Bachon Ke Liye Urdu Ka Asan Qaida
इज़हार अहमद थानवी
मगर मुझ को लौटा दो बचपन का सावनवो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी
मेरा बचपन भी साथ ले आयागाँव से जब भी आ गया कोई
दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन मेंसो ज़ख़्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम
मुमकिन है हमें गाँव भी पहचान न पाएबचपन में ही हम घर से कमाने निकल आए
फिर तो ये ऊँचा ही होता जाएगाबचपन के हाथों में चाँद आ जाने दे
हम तो बचपन में भी अकेले थेसिर्फ़ दिल की गली में खेले थे
कहते हैं जो ज़बाँ से वही कर दिखाते हैंबचपन में जो ज़बाँ से कहा था किया वो काम
मैं बचपन में खिलौने तोड़ता थामिरे अंजाम की वो इब्तिदा थी
मगर मुझ को लौटा दो वो बचपन का सावनवो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी
फिर आएगा वो मुझ से बिछड़ने के वास्तेबचपन का दौर फिर से जवानी में आएगा
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