आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "farmaa.egii"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "farmaa.egii"
नज़्म
वो सुब्ह कभी तो आएगी
इन भूकी प्यासी रूहों पर इक दिन तो करम फ़रमाएगी
वो सुब्ह कभी तो आएगी
साहिर लुधियानवी
अन्य परिणाम "farmaa.egii"
ग़ज़ल
अगर होता वो 'मजज़ूब'-ए-फ़रंगी इस ज़माने में
तो 'इक़बाल' उस को समझाता मक़ाम-ए-किबरिया क्या है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
इबलीस की मजलिस-ए-शूरा
जिस ने इस का नाम रखा था जहान-ए-काफ़-अो-नूँ
मैं ने दिखलाया फ़रंगी को मुलूकियत का ख़्वाब
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
लेनिन
बेकारी ओ 'उर्यानी ओ मय-ख़्वारी ओ इफ़्लास
क्या कम हैं फ़रंगी मदनियत की फ़ुतूहात
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जम्हूरियत
इस राज़ को इक मर्द-ए-फ़रंगी ने किया फ़ाश
हर-चंद कि दाना इसे खोला नहीं करते
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
फ़रंगी शीशागर के फ़न से पत्थर हो गए पानी
मिरी इक्सीर ने शीशे को बख़्शी सख़्ती-ए-ख़ारा
अल्लामा इक़बाल
हास्य
अज़्मत भी अच्छी-ख़ासी है उस से लड़ा लीजे आँखें
आप इस बंदी की ख़ातिर कब तक ज़हमत फ़रमाएँगे