aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gumshuda-e-kuu-ba-kuu"
बी. के. नारायण
लेखक
बी. के. सहगल
पर्काशक
बी. के. खन्ना
बी के वर्मा शैदी
born.1941
सी बी न्यूटन
सी. बी. अग्रवाल
बी. सी. वॉलिस
खान बहादुर हकीमुद्दीन
प्रेम रंगपुरी
born.1919
के बी सकसेना आफ़ताब
बी. के. पब्लिकेशन्ज़, दिल्ली
सी. बी. सेहगल
एच. के. बी. उर्दू लाइब्रेरी, ग्वालियर
ए. सी. शर्मा
ए सी अगरवाल
अनुवादक
ख़िरद को गुमशुदा-ए-कू-ब-कू समझते हैंहम अहल-ए-इश्क़ तुझे रू-ब-रू समझते हैं
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई कीउस ने ख़ुशबू की तरह मेरी पज़ीराई की
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई कीउस ने ख़ुश्बू की तरह मेरी पज़ीराई की
उजाला कू-ब-कू है और क्या हैमेरे हमराह तू है और क्या है
बे-लिबासी कू-ब-कू ऐसी न थीज़िंदगी बे-आबरू ऐसी न थी
कई दशक बीत गए लेकिन भारतीय गायकी के महानायक मोहम्मद रफी आज भी अपनी आवाज़ के जादू से सभी के दिलों पर राज कर रहे हैं। उनके रूमानी और भक्ति गीतों की गूँज आज भी सुनाई देती है। यहाँ हम उन मशहूर उर्दू शायरों की ग़ज़लें लेकर आए हैं, जिन्हें मुहम्मद रफ़ी ने गाया था। उन्होंने उन ग़ज़लों की ख़ूसूरती में वो जादू भर दिया है जो सुनने वालों को देर तक मंत्रमुग्ध रखता है।
ख़ुदा-ए-सुख़न कहे जाने वाले मीर तक़ी मीर उर्दू अदब का वो रौशन सितारा हैं, जिन्होंने नस्ल-दर-नस्ल शायरों को मुतास्सिर किया. यहाँ उनकी ज़मीन पर लिखी गई चन्द ग़ज़लें दी जा रही हैं, जो मुख़्तलिफ़ शायरों ने उन्हें खिराज पेश करते हुए कही.
नूनमीम राशिद उर्दू के प्रमुख शायरों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी ख़ूबसूरत और सजावटी शैली से इस विधा को वास्तविक पहचान दी है। इस संग्रह में उनकी कविताओं के चयन के साथ-साथ उन कविताओं की नाटकीय रिकॉर्डिंग भी शामिल है, ताकि आप इन नज़्मों को सुन कर भी लुत्फ़ उठा सकें।
Koo Ba Koo
उस्मान जौहरी
कू बा कू
सलमान अख़्तर
काव्य संग्रह
Ba-Ku-e-Yar
सरवर तोनस्वी
स्केच / ख़ाका
Aazadi Ke Baad Hindustan Ka Urdu Adab
मज़ामीन / लेख
1960 Ke Bad Ki Ghazal Ka Uslubiyati Mutala
सरवर साजिद
Takmila-e-Abul Fida Ke Baad Ke Halaat
मौलवी करीमउद्दीन
विश्व इतिहास
Raste ki Baat
2000 Ke Baad Ke Urdu Novelon Ka Jaeza : Shumara Number-002
मोहम्मद सलीम
अदब सिलसिला
Qanoon Aur Guideline Ke Baad Ki Surat-e-Haal
मोहम्मद वली रहमानी
इस्लामियात
Parwaz Ke Bad
Baat Ki Baat
हंस राज रहबर
आज़ादी के बाद की ग़ज़ल का तन्क़ीदी मुताला
बशीर बद्र
शायरी तन्क़ीद
Aazadi Ke Bad Hindustan Ka Urdu Adab
मोहम्मद ज़ाकिर
इतिहास
आलोचना
Jadeed Urdu Adab
मोहम्मद हसन
यूँ तमाशे रतजगे के कू-ब-कू होते रहेसर पे सूरज आन पहुँचा और हम सोते रहे
सुकूत-ए-ख़ौफ़ यहाँ कू-ब-कू पुकारता हैन उस की तेग़ न मेरा लहू पुकारता है
छेड़ा है एक नग़्मा-ए-शीरीं भी कू-ब-कूदिल ने हिलाल-ए-ईद की ताईद के लिए
जहाँ में जिस की शोहरत कू-ब-कू हैवो मुझ से आज महव-ए-गुफ़्तुगू है
ख़ुद अपनी ज़ात की तश्हीर कू-ब-कू किए जाएँख़ुदा मिले न मिले उस की जुस्तुजू किए जाएँ
चहार सम्त मिले कू-ब-कू दिखाई देमैं एक नज़्म कहूँ जिस में तू दिखाई दे
जुनूँ के अहद में आवारा कू-ब-कू होनाबग़ैर मुश्क के साँसों का मुश्क-बू होना
भले सुकूत में टूटे या कू-ब-कू टूटेमैं चाहता हूँ कि अंदर की हाओ-हू टूटे
कब से फिरा रहा है जुनूँ कू-ब-कू हमेंकर लो कभी ख़ुदा के लिए रू-ब-रू हमें
वो कैसी आस थी अदा जो कू-ब-कू लिए फिरीवो कुछ तो था जो दिल को आज तक कभू मिला नहीं
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