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नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
दरख़्त-ए-ज़र्द
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगी
वो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
जौन एलिया
समस्त
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ग़ज़ल
ये शौक़ सारे यक़ीन-ओ-गुमाँ से पहले था
मैं सज्दा-रेज़ नवा-ए-अज़ाँ से पहले था