आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "urdu duniya shumara number 011 magazines"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "urdu duniya shumara number 011 magazines"
ग़ज़ल
उर्दू का नमक जो खाते हैं उर्दू पे गुज़ारा करते हैं
इस बात का दुख है लोग वही उर्दू से किनारा करते हैं
अज़ीमुद्दीन साहिल साहिल कलमनूरी
अन्य परिणाम "urdu duniya shumara number 011 magazines"
ग़ज़ल
दोस्त ख़ुश होते हैं जब दोस्त का ग़म देखते हैं
कैसी दुनिया है इलाही जिसे हम देखते हैं
सफ़ी औरंगाबादी
हास्य शायरी
एक दिन बीवी ने फ़रमाया तुम्हारी हर किताब
फ़ालतू सामान है कूड़ा है रद्दी है जनाब
अहमद अल्वी
ग़ज़ल
फ़ुर्क़त से हम-कनार तो तू भी है मैं भी हूँ
मिलने को बे-क़रार तो तू भी है मैं भी हूँ