aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "urdu lughat tareekhi usool par"
अपने मुँह से कह रही है साफ़ उर्दू की ज़बाँमौलिद-ओ-मावा है मेरा किश्वर-ए-हिन्दोस्ताँ
मुद्दई ख़ुश थे सज़ा-ए-मौत पर 'तारिक़' मगरक्यों मुझे मुंसिफ़ का चेहरा इतना अफ़्सुर्दा लगा
यही पाक धरती हमारा वतन हैइसी की तरक़्क़ी हमारी लगन है
नैन नशे की चढ़ती नुमू परबाक़ी बदन सब जाम-ओ-सुबू पर
मुश्तहर मौत की आरज़ू ने उसेमुज़्तरिब कर दिया इस क़दर एक दिन
उर्दू लुग़त तारीख़ी उसूल पर
फ़रमान फ़तेहपुरी
शब्द-कोश
अबुल्लैस सिद्दीक़ी
रऊफ़ पारेख
मिर्ज़ा नसीम बेग
तलातुम है न जाँ-लेवा भँवर हैकि बहर-ए-मस्लहत अब मुस्तक़र है
अंदेशों के दरवाज़ों परकोई निशान लगाता है
ख़्वाब की सीढ़ियाँलम्हा लम्हा
ज़िंदगी जाते जाते ये क्या कह गईमौत कुछ फ़ासले पर खड़ी रह गई
नींद कमरे में टहल रही हैरात की बे-शुमार आँखें मुझ पर गड़ीं हैं
चराग़ बुझने लगे और छाई तारीकीचुका रहा था मैं क़ीमत हवा से यारी की
कई दिनों से किसी का सलाम है न पयाममिरे अदू की बाज़ी लगा के पर बाँधे
अब तो आते होंगे कब के भेजे हैंमैं ने तुम को लेने रस्ते भेजे हैं
ज़बाँ पर आरज़ू की बात लाना सख़्त मुश्किल हैमगर राज़-ए-मोहब्बत का छुपाना सख़्त मुश्किल है
आश्नाई गईदिलरुबाई गई
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