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ग़ज़ल
दिल भी धड़क रहा है निगाहें भी दर पे हैं
इक ख़ास लुत्फ़ वादा-ए-ना-मो'तबर में है
फ़ज़्ल अहमद करीम फ़ज़ली
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नज़्म
वारिस
कई ख़ानों में उस की ज़िंदगी बटने लगी थी
वो अपनी कोशिश-ए-ना-मो'तबर से तंग आ कर
अकबर हैदराबादी
ग़ज़ल
सरफ़राज़ बज़्मी
ग़ज़ल
वादा-ए-वस्ल-ए-अदू आज वफ़ा हो कि न हो
नाला करता तो हूँ मैं हश्र बपा हो कि न हो
मोहम्मद लुतफ़ुद्दीन ख़ान लुत्फ़
ग़ज़ल
समो न तारों में मुझ को कि हूँ वो सैल-ए-नवा
जो ज़िंदगी के लब-ए-मो'तबर से निकलेगा