aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "इतिहास"
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैंतू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
सितारों से आगे जहाँ और भी हैंअभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँमिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होताअगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिनदो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में
कोई तुम सा भी काश तुम को मिलेमुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है
ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँतू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीदमगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था
तेरे आने की क्या उमीद मगरकैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहींदो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद
आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हमअब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
याद उसे इंतिहाई करते हैंसो हम उस की बुराई करते हैं
मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहाये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भीइंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्नावस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार कियातमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया
जानता है कि वो न आएँगेफिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगातो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
मुझ को ये आरज़ू वो उठाएँ नक़ाब ख़ुदउन को ये इंतिज़ार तक़ाज़ा करे कोई
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