aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'gaurii'"
बड़े अज़ाब में हूँ मुझ को जान भी है अज़ीज़सितम को देख के चुप भी रहा नहीं जाता
ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुलामैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ
दिल है कि तिरी याद से ख़ाली नहीं रहताशायद ही कभी मैं ने तुझे याद किया हो
मिरी जगह कोई आईना रख लिया होतान जाने तेरे तमाशे में मेरा काम है क्या
जितना देखो उसे थकती नहीं आँखें वर्नाख़त्म हो जाता है हर हुस्न कहानी की तरह
दिल को सँभाले हँसता बोलता रहता हूँ लेकिनसच पूछो तो 'ज़ेब' तबीअत ठीक नहीं होती
अधूरी छोड़ के तस्वीर मर गया वो 'ज़ेब'कोई भी रंग मयस्सर न था लहू के सिवा
घसीटते हुए ख़ुद को फिरोगे 'ज़ेब' कहाँचलो कि ख़ाक को दे आएँ ये बदन उस का
जाग के मेरे साथ समुंदर रातें करता हैजब सब लोग चले जाएँ तो बातें करता है
ये कम है क्या कि मिरे पास बैठा रहता हैवो जब तलक मिरे दिल को दुखा नहीं जाता
ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगाऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना
मैं पयम्बर तिरा नहीं लेकिनमुझ से भी बात कर ख़ुदा मेरे
तिरा यक़ीन हूँ मैं कब से इस गुमान में थामैं ज़िंदगी के बड़े सख़्त इम्तिहान में था
मेरे पास से उठ कर वो उस का जानासारी कैफ़िय्यत है गुज़रते मौसम सी
मैं लाख इसे ताज़ा रखूँ दिल के लहू सेलेकिन तिरी तस्वीर ख़याली ही रहेगी
कुछ दूर तक तो चमकी थी मेरे लहू की धारफिर रात अपने साथ बहा ले गई मुझे
तलाश एक बहाना था ख़ाक उड़ाने कापता चला कि हमें जुस्तुजू-ए-यार न थी
एक किरन बस रौशनियों में शरीक नहीं होतीदिल के बुझने से दुनिया तारीक नहीं होती
छेड़ कर जैसे गुज़र जाती है दोशीज़ा हवादेर से ख़ामोश है गहरा समुंदर और मैं
मैं तो चाक पे कूज़ा-गर के हाथ की मिट्टी हूँअब ये मिट्टी देख खिलौना कैसे बनती है
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