aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
अपनी अना की आज भी तस्कीन हम ने कीजी भर के उस के हुस्न की तौहीन हम ने की
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोईतू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैरजिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
आज देखा है तुझ को देर के बअ'दआज का दिन गुज़र न जाए कहीं
आइना देख के कहते हैं सँवरने वालेआज बे-मौत मरेंगे मिरे मरने वाले
शाम से आँख में नमी सी हैआज फिर आप की कमी सी है
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की यादवक़्त कितना क़ीमती है आज कल
इस नहीं का कोई इलाज नहींरोज़ कहते हैं आप आज नहीं
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती हैआज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगातो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
आज मुझ को बहुत बुरा कह करआप ने नाम तो लिया मेरा
ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिमरस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है
मुद्दत के ब'अद आज उसे देख कर 'मुनीर'इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतेंआज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत
जो उन मासूम आँखों ने दिए थेवो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई कीआज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की
कल तक तो आश्ना थे मगर आज ग़ैर होदो दिन में ये मिज़ाज है आगे की ख़ैर हो
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