aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",bwk"
रोने से और इश्क़ में बे-बाक हो गएधोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछकुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
ग़ैरों से मिल के ही सही बे-बाक तो हुआबारे वो शोख़ पहले से चालाक तो हुआ
सब दोस्त मस्लहत के दुकानों में बिक गएदुश्मन तो पुर-ख़ुलूस अदावत में अब भी है
ख़ुदा के वास्ते उस से न बोलोनशे की लहर में कुछ बक रहा है
दोपहर तक बिक गया बाज़ार का हर एक झूटऔर मैं इक सच को ले कर शाम तक बैठा रहा
तअ'ज्जुब कुछ नहीं 'दाना' जो बाज़ार-ए-सियासत मेंक़लम बिक जाएँ तो सच बात लिखना छोड़ देते हैं
ग़म बिक रहे थे मेले में ख़ुशियों के नाम परमायूस हो के लौटे हैं हर इक दुकाँ से हम
बिक जाता हूँ हाथों-हाथहद से ज़ियादा सस्ता हूँ
दिल सा अनमोल रतन कौन ख़रीदेगा 'शकेब'जब बिकेगा तो ये बे-दाम ही बिक जाएगा
मैं पहले बे-बाक हुआ था जोश-ए-मोहब्बत मेंमेरी तरह फिर उस ने भी शरमाना छोड़ा था
जिस को बचाए रखने में अज्दाद बिक गएहम ने उसी हवेली को नीलाम कर दिया
यही लहजा था कि मेआर-ए-सुख़न ठहरा थाअब इसी लहजा-ए-बे-बाक से ख़ौफ़ आता है
बिक जाऊँ सस्ते दामों ज़रूरत के वास्तेउतरा हुआ ग़रीब का ज़ेवर नहीं हूँ मैं
ख़रीदने के लिए उस को बिक गया ख़ुद हीमैं वो हूँ जिस को मुनाफ़े में भी ख़सारा हुआ
हम भी जी भर के तुझे कोसते फिरते लेकिनहम तिरा लहजा-ए-बे-बाक कहाँ से लाएँ
लैला मजनूँ का रटती है नामदीवानी हुई है बक रही है
मुझे ख़रीद रहे हैं मिरे सभी अपनेमैं बिक तो जाऊँ मगर सामने तो आए कोई
जल्वा बे-बाक अदा शोख़ तमाशा गुस्ताख़उठ गए बज़्म से आदाब-ए-नज़र मेरे बाद
इस अदब-गाह कूँ तूँ मस्जिद-ए-जामे मत बूझशैख़ बे-बाक न जा गोशा-ए-मय-ख़ाने में
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books