aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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हवस शामिल है थोड़ी सी दुआ मेंअभी इस लौ में हल्का सा धुआँ है
शाम उतरी है फिर अहाते मेंजिस्म पर रौशनी के घाव लिए
बनाया ऐ 'ज़फ़र' ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतरमलक को देव को जिन को परी को हूर ओ ग़िल्माँ को
कुछ नौ-जवान शहर से आए हैं लौट करअब दाव पर लगी हुई इज़्ज़त है गाँव की
दिल एक सदियों पुराना उदास मंदिर हैउमीद तरसा हुआ प्यार देव-दासी का
वही आँसू वही माज़ी के क़िस्सेजिसे देखो कटे को काटता है
मुस्कुराने का फ़न तो बअ'द का हैपहले साअ'त का इंतिख़ाब करो
समुंदर है कोई आँखों में शायदकिनारों पर चमकते हैं गुहर से
तअ'ल्लुक़ तर्क तो कर लें सभी सेभले लगते हैं कुछ नुक़सान लेकिन
देव परी के क़िस्से सुन करभूके बच्चे सो लेते हैं
सम्त दुनिया के हम गए ही नहींउस इलाक़े से दुश्मनी सी रही
मैं सारे फ़ासले तय कर चुका हूँख़ुदी जो दरमियाँ थी दरमियाँ है
मिले अब के तो रोए टूट कर हमगुनाह अपनी सज़ा के रू-ब-रू था
एक नश्शा है ख़ुद-नुमाई भीजो ये उतरे तो फिर तुझे देखूँ
उतर जाता तो रुस्वाई बहुत होतीकि सर का बोझ भी दस्तार जैसा था
ख़्वाब नद्दी सा गुज़र जाएगादश्त आँखों में ठहर जाना है
हम जो टूटे हैं बता हार भला किस की हुईज़िंदगी तेरी उठाई हुई सौगंद थे हम
कशिश तुझ सी न थी तेरे ग़मों मेंलब-ओ-लहजा मगर हाँ हू-ब-हू था
अब के ताबीर मसअला न रहेये जो दुनिया है इस को ख़्वाब करो
हमें इस तरह ही होना था आबादहमारे साथ वीराने लगे हैं
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