aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",lig"
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
ज़िंदगी किस तरह बसर होगीदिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
हज़ारों काम मोहब्बत में हैं मज़े के 'दाग़'जो लोग कुछ नहीं करते कमाल करते हैं
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैंउम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरीलोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैंक्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैंहम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथजाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगेजाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ सेतेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
ऐसे हँस हँस के न देखा करो सब की जानिबलोग ऐसी ही अदाओं पे फ़िदा होते हैं
ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिनलोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैंजिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं
बंदगी हम ने छोड़ दी है 'फ़राज़'क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने मेंतुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में
लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब कोमर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ सेइस घर को आग लग गई घर के चराग़ से
इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैंतमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं
ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैंफिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैंलोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं
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