aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",sZA"
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों नेलम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत कीमरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
कोई तुम सा भी काश तुम को मिलेमुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहींदबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिराकोई तुझ सा हो तो फिर नाम भी तुझ सा रक्खे
मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन लेअब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को
आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसेऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे
हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ साजो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
आते आते मिरा नाम सा रह गयाउस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यूँतुम सज़ा भी तो कम नहीं करते
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाताजो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
मिरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिएतू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए
दाएम आबाद रहेगी दुनियाहम न होंगे कोई हम सा होगा
आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गएसाहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था
दुआ करो कि मैं उस के लिए दुआ हो जाऊँवो एक शख़्स जो दिल को दुआ सा लगता है
शाम से कुछ बुझा सा रहता हूँदिल हुआ है चराग़ मुफ़्लिस का
क्या कोई नई बात नज़र आती है हम मेंआईना हमें देख के हैरान सा क्यूँ है
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देतायहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
मोहब्बत की सज़ा तर्क-ए-मोहब्बतमोहब्बत का यही इनआम भी है
तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहींएक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं
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