aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "آدمیت"
आदमिय्यत और शय है इल्म है कुछ और शयकितना तोते को पढ़ाया पर वो हैवाँ ही रहा
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दियावर्ना हम भी आदमी थे काम के
आदमी के पास सब कुछ है मगरएक तन्हा आदमिय्यत ही नहीं
आदमियत के सिवा जिस का कोई मक़्सद न होउम्र भर उस आदमी की जुस्तुजू करते रहो
दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होनाआदमियत है यही और यही इंसाँ होना
आह मर्ग-ए-आदमी पर आदमी रोए बहुतकोई भी रोया न मर्ग-ए-आदमिय्यत के लिए
शैख़ जी बन गए फ़रिश्ता-सिफ़ातआदमिय्यत से हाथ धो बैठे
आदमिय्यत का ज़िक्र क्या नासेहआदमी अब कहाँ हैं साए हैं
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमीजिस को भी देखना हो कई बार देखना
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहींमुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक करआदत इस की भी आदमी सी है
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होनाआदमी को भी मुयस्सर नहीं इंसाँ होना
इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैंतमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं
झूट बोला है तो क़ाएम भी रहो उस पर 'ज़फ़र'आदमी को साहब-ए-किरदार होना चाहिए
वो मुझ को छोड़ के जिस आदमी के पास गयाबराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता
ख़ुदा बचाए तिरी मस्त मस्त आँखों सेफ़रिश्ता हो तो बहक जाए आदमी क्या है
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थेबहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
'मीर' साहब तुम फ़रिश्ता हो तो होआदमी होना तो मुश्किल है मियाँ
इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वाआदमी काम का नहीं होता
उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगावो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा
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