aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اشرفی"
हम-रंग की है दून निकल अशरफ़ी के साथपाता है आ के रंग-ए-तलाई यहाँ बसंत
'शाद' ग़ैर-मुमकिन है शिकवा-ए-बुताँ मुझ सेमैं ने जिस से उल्फ़त की उस को बा-वफ़ा पाया
कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगीकैसे कहूँ किसी की तमन्ना न चाहिए
तुम सलामत रहो क़यामत तकऔर क़यामत कभी न आए 'शाद'
चला था मैं तो समुंदर की तिश्नगी ले करमिला ये कैसा सराबों का सिलसिला मुझ को
है ता-हद्द-ए-इम्काँ कोई बस्ती न बयाबाँआँखों में कोई ख़्वाब दिखाई नहीं देता
देख कर शाइ'र ने उस को नुक्ता-ए-हिकमत कहाऔर बे-सोचे ज़माने ने उसे ''औरत'' कहा
मुझ से जो पूछते हो तो हर हाल शुक्र हैयूँ भी गुज़र गई मिरी वूँ भी गुज़र गई
रंग लाएगी हमारी तंग-दस्ती एक दिनमिस्ल-ए-ग़ालिब 'शाद' गर सब कुछ उधार आता गया
जुगनू मियाँ की दुम जो चमकती है रात कोसब देख देख उस को बजाते हैं तालियाँ
जब चली अपनों की गर्दन पर चलीचूम लूँ मुँह आप की तलवार का
मेरी अल्लाह से बस इतनी दुआ है 'राशिद'मैं जो उर्दू में वसीयत लिखूँ बेटा पढ़ ले
नहीं है इंसानियत के बारे में आज भी ज़ेहन साफ़ जिन कावो कह रहे हैं कि जिस से नेकी करोगे उस से बदी मिलेगी
वो आए जाता है कब से पर आ नहीं जातावही सदा-ए-क़दम का है सिलसिला कि जो था
कहीं फ़ितरत बदल सकती है नामों के बदलने सेजनाब-ए-शैख़ को मैं बरहमन कह दूँ तो क्या होगा
इक चाँद है आवारा-ओ-बेताब ओ फ़लक-ताबइक चाँद है आसूदगी-ए-हिज्र का मारा
दीवाना-वार नाचिये हँसिए गुलों के साथकाँटे अगर मिलें तो जिगर में चुभोइए
लज़्ज़त-ए-दीद ख़ुदा जाने कहाँ ले जाएआँख होती है तो होता नहीं क़ाबू दिल पर
आज तस्वीर उस की देखी हैआज फिर नींद का ज़ियाँ होगा
रफ़्ता रफ़्ता मेरी अल-ग़रज़ी असर करती रहीमेरी बे-परवाइयों पर उस को प्यार आता गया
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