aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اعتبار"
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े सेमैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता
मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिनमुसाफ़िरों की मोहब्बत का ए'तिबार न कर
आदतन तुम ने कर दिए वादेआदतन हम ने ए'तिबार किया
ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार कियातमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया
आप का ए'तिबार कौन करेरोज़ का इंतिज़ार कौन करे
अब इन हुदूद में लाया है इंतिज़ार मुझेवो आ भी जाएँ तो आए न ए'तिबार मुझे
तिरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जानाकि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता
किसी को साल-ए-नौ की क्या मुबारकबाद दी जाएकैलन्डर के बदलने से मुक़द्दर कब बदलता है
मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैंमैं आदमी हूँ मिरा ए'तिबार मत करना
जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़बान मेंतुम झूट कह रहे थे मुझे ए'तिबार था
मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँजनम-दिन है अकेला रो रहा हूँ
इश्क़ को एक उम्र चाहिए औरउम्र का कोई ए'तिबार नहीं
मैं अब किसी की भी उम्मीद तोड़ सकता हूँमुझे किसी पे भी अब कोई ए'तिबार नहीं
एक ही शहर में रहना है मगर मिलना नहींदेखते हैं ये अज़िय्यत भी गवारा कर के
वा'दे का ए'तिबार तो है वाक़ई मुझेये और बात है कि हँसी आ गई मुझे
सुबूत है ये मोहब्बत की सादा-लौही काजब उस ने वादा किया हम ने ए'तिबार किया
मुझ से बिगड़ गए तो रक़ीबों की बन गईग़ैरों में बट रहा है मिरा ए'तिबार आज
रिश्तों का ए'तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ारहम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं
अब तो ख़ुद अपनी ज़रूरत भी नहीं है हम कोवो भी दिन थे कि कभी तेरी ज़रूरत हम थे
फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थेऐसे ज़िंदा थे कि जीने की अलामत हम थे
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