aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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अगर फ़िरदौस बर-रू-ए-ज़मीं अस्तहमीं अस्त ओ हमीं अस्त ओ हमीं अस्त
गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देखहै देखने की चीज़ इसे बार बार देख
किनारा कर न ऐ दुनिया मिरी हस्त-ए-ज़बूनी सेकोई दिन में मिरा रौशन सितारा होने वाला है
जिस दिन मय-ए-अलस्त की मौज आ गई मुझेरंग दूँगा एक रंग में सारे जहाँ को में
कुछ हम को इम्तियाज़ नहीं साफ़ ओ दुर्द काऐ साक़ियान-ए-बज़्म बयारीद हरचे हस्त
हस्ती का राज़ क्या है ग़म-ए-हस्त-ओ-बूद हैआलम तमाम दाम-ए-रुसूम-ओ-क़़ुयूद है
लड़ रहा हूँ मैं अकेला कार-ज़ार-ए-हस्त मेंकर फ़राहम तू भी ज़ालिम अपने होने का जवाज़
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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