आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "برج"
शेर के संबंधित परिणाम "برج"
शेर
ज़िंदगी क्या है अनासिर में ज़ुहूर-ए-तरतीब
मौत क्या है इन्हीं अज्ज़ा का परेशाँ होना
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता
न कुछ मरने का ग़म होता न जीने का मज़ा होता
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
अदब ता'लीम का जौहर है ज़ेवर है जवानी का
वही शागिर्द हैं जो ख़िदमत-ए-उस्ताद करते हैं
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
इक सिलसिला हवस का है इंसाँ की ज़िंदगी
इस एक मुश्त-ए-ख़ाक को ग़म दो-जहाँ के हैं
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है
मज़ा दामान-ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
गुनह-गारों में शामिल हैं गुनाहों से नहीं वाक़िफ़
सज़ा को जानते हैं हम ख़ुदा जाने ख़ता क्या है
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
नया बिस्मिल हूँ मैं वाक़िफ़ नहीं रस्म-ए-शहादत से
बता दे तू ही ऐ ज़ालिम तड़पने की अदा क्या है
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
जो तू कहे तो शिकायत का ज़िक्र कम कर दें
मगर यक़ीं तिरे वा'दों पे ला नहीं सकते
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
ख़ुदा ने इल्म बख़्शा है अदब अहबाब करते हैं
यही दौलत है मेरी और यही जाह-ओ-हशम मेरा
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
मंज़िल-ए-इबरत है दुनिया अहल-ए-दुनिया शाद हैं
ऐसी दिल-जमई से होती है परेशानी मुझे
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
ज़बान-ए-हाल से ये लखनऊ की ख़ाक कहती है
मिटाया गर्दिश-ए-अफ़्लाक ने जाह-ओ-हशम मेरा
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
किया है फ़ाश पर्दा कुफ़्र-ओ-दीं का इस क़दर मैं ने
कि दुश्मन है बरहमन और अदू शैख़-ए-हरम मेरा
चकबस्त ब्रिज नारायण
शेर
है मिरा ज़ब्त-ए-जुनूँ जोश-ए-जुनूँ से बढ़ कर
नंग है मेरे लिए चाक-ए-गरेबाँ होना